Sunday, December 19, 2010

अरे भाई राहुल गाँधी तो बस गरीबों के साथ राजनीति करना जानता है , और ये मीडिया वाले भी अपना फ़र्ज़ भूलकर चापलूसी और चाटुकारी सीख गए हैं ! Breaking News आती है कि आज राहुलजी ने मजदूर के घर खाना खाया, और चारपाई पर सोये, अब जो आदमी दिनभर मजदूरी करके दो रोटी का इंतजाम करता है और उसे भी शाम को नेता जी खा लें , एक चारपाई थी उसपर भी नेताजी सो गए ! अब भला ये दर्द बाँटना हुआ या दर्द बढ़ाना ! और ये मीडिया वाले पूरी hype के साथ इस शियार को गरीबों का मशीहा घोषित कर देते हैं ! पता नहीं गाँधी परिवार के चाटुकारों को इसमें भावी प्रधानमंत्री कि छवि कैसे नज़र आती है ! रही बात RSS और सिमी कि समानता कि तो ये और इसकी इटालियन माँ क्या जाने इस देश के लिए संघ के योगदान के बारे में !  उदाहरण के तौर पर 1962 का भारत - चीन युद्ध , अरे तब तो नेहरु भी नतमस्तक हो गए थे संघ के योगदान प्रति  ! संघ का नहीं तो कम से कम अपनी पार्टी का इतिहास तो ध्यान रखना चाहिए !
और हाँ भाषण देना तब और भी आसन हो जाता है जब भाषण दिल्ली से export हो के आते  हों !

Saturday, November 20, 2010

नवोदय स्मृति

अहो धन्य भाग हमारे , जो नवोदय में प्रवेश हुए हमारे !
वो रूम अलोटमेंट वो डबल  डेकर की खींचतान
बिखरे हुए टैलेंट को मिल गयी नयी पहचान ,
मिल गयी नयी पहचान हुए सब अपने ,
पर आँखों में थे अब भी घर के ही सपने ,
वो दिनभर मस्ती वो रातों की महफ़िल ,
झगड़ें भले, पर मिलते थे दिल ,
बहाना बीमारी का चाहें सेहत हो अच्छी,
खेलेंगे क्रिकेट पर चाहिए पी.टी. से छुट्टी,
अब याद आता है गुज़रा ज़माना ,
ठन्डे ठन्डे पानी से सुबह को नहाना ,
अब तो बची हैं बस इतनी ही दुआएं ,
वो सात साल फिर से जीने को मिल जायें !

Friday, October 29, 2010

आज दिल उदास है !

आज दिल उदास है !
न जाने किसकी तलाश है !
यूँ तो किनारे बैठा हूँ दरिया के !
फिर क्यों अधरों पे प्यास है !
ये ज़िन्दगी का कारवां आज फिर ,
मूक है       नासाज है  !
चुन लिया जो रास्ता उस पर दुखी हूँ !
मंजिल दिखी तो नहीं पर आस है !
सोचता हूँ कोई हो अपना भी अब तो ,
धडकनों में फिर से अब परवाज है !
मौसम-ए-बहार का असर नहीं ये 'शीफू'
बस ज़िन्दगी की उलझनों का सार है !
 @ankul